
नवरात्रि के अष्टम दिन आदिशक्ति के आठवें स्वरूप माँ महागौरी की पूजा-अर्चना की जाती है।
“महागौरी” का अर्थ है – अत्यंत श्वेत या गोरे वर्ण वाली देवी। इनका तेज क्रिस्टल, चाँद और कपूर के समान श्वेत और निर्मल है। देवी को “श्वेताम्बरधरा” भी कहा जाता है। वे सहस्रार चक्र की अधिष्ठात्री हैं और पवित्रता, शांति तथा दिव्यता का वरदान देती हैं। उनकी कृपा से समस्त पाप और अशुद्धियाँ नष्ट हो जाती हैं। महागौरी राहु ग्रह का संचालन करती हैं।
पौराणिक कथा
शिवपुराण और स्कंदपुराण के अनुसार, जब माँ पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की, तब उनके शरीर पर जंगल की धूल-मिट्टी जम गई। वर्षों की तपस्या से उनका वर्ण काला पड़ गया।
भगवान शिव उनकी तपस्या से प्रसन्न हुए और उन्होंने अपने हाथों से माँ के शरीर की धूल साफ की तथा गंगाजल से स्नान कराया। इसके बाद माँ पार्वती का वर्ण दूध, चाँद और मोती के समान श्वेत हो गया और वे महागौरी कहलाईं।
एक अन्य कथा में कहा गया है कि महिषासुर वध के बाद जब देवताओं ने स्तुति की, तब देवी ने महागौरी स्वरूप धारण कर उनके पापों का नाश किया और उन्हें सुख-समृद्धि का आशीर्वाद दिया।
स्वरूप वर्णन
माँ महागौरी का स्वरूप अत्यंत शांत और मनोहर है। वे चतुर्भुजी हैं, श्वेत वृषभ पर विराजमान हैं। उनके हाथों में त्रिशूल, डमरू, वरद मुद्रा और अभय मुद्रा शोभा पाते हैं। शंख और चंद्र के समान उनका वर्ण है। वे मोती और स्फटिक के आभूषणों से सुसज्जित हैं।
रंग और प्रतीक
माँ का प्रिय रंग सफेद है – जो शुद्धता, सत्य, शांति और आध्यात्मिकता का प्रतीक है। यह सहस्रार चक्र का रंग भी है। भक्त इस दिन सफेद वस्त्र धारण करते हैं और उन्हें सफेद फूल, सफेद चंदन और सफेद मिठाई अर्पित करते हैं।
पूजन विधि
- प्रातः स्नान कर सफेद वस्त्र पहनें
- पूजास्थल को सफेद वस्त्र और फूलों से सजाएँ
- माँ का ध्यान कर सफेद चंदन, सफेद पुष्प और सफेद नैवेद्य चढ़ाएँ
- सफेद खीर, रसगुल्ला, नारियल, बादाम आदि अर्पित करें
- घी का दीपक जलाकर आरती करें
मंत्र
बीज मंत्र:
- “ॐ देवी महागौर्यै नमः”
ध्यान मंत्र:
- “श्वेते वृषे समारूढा श्वेताम्बरधरा शुचि।
महागौरी शुभं दद्याद् महादेवप्रमोदिनी॥”
लाभ
- सहस्रार चक्र की जागृति और आत्मशुद्धि
- मानसिक शांति, आत्मविश्वास और सकारात्मकता
- वैवाहिक जीवन में प्रेम व सामंजस्य
- सामाजिक जीवन में सम्मान और प्रतिष्ठा
- व्यावसायिक कार्यों में सफलता, विशेषकर योग, चिकित्सा और अध्यात्म से जुड़े क्षेत्रों में
कन्या पूजन
अष्टमी तिथि पर कन्या पूजन का विशेष महत्व है। 2 से 10 वर्ष की कन्याओं को देवी स्वरूप मानकर उनके चरण पूजित किए जाते हैं और उन्हें भोजन व वस्त्र भेंट किए जाते हैं।
समापन
माँ महागौरी की आराधना से जीवन में निर्मलता, पवित्रता और दिव्यता आती है। वे पाप और नकारात्मकता का नाश कर भक्तों को शांति और आध्यात्मिक प्रकाश का आशीर्वाद देती हैं।
नवरात्रि में नवदुर्गा के नौ स्वरूपों पर प्रस्तुत सभी लेख केवल अलग–अलग स्थानों से संकलित जानकारी का संग्रह मात्र हैं।
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