
व्यक्तिगत आध्यात्म आज की नई फैशन बन गई है।
सभी इसे फॉलो कर रहे हैं। सभी अब spiritual हैं, लेकिन religious नहीं। परिवर्तन संसार का नियम है। आज दुनिया में seriously बहुत कुछ change हो रहा है। धार्मिक और आध्यात्मिक अभिव्यक्ति में लोग पारंपरिक institutions से slowly बाहर आ रहे हैं। कारण क्या हो सकता है? उन्हें अब धर्म और अध्यात्म में श्रद्धा नहीं रही ऐसा नहीं है, लेकिन आज की यह आधुनिक पीढ़ी कुछ और real और और authentic खोज रही है। क्या यह वह आध्यात्मिकता है जो WhatsApp status पर देखने को मिलती है?
इस पारंपरिक और आधुनिक आध्यात्मिकता के बीच क्या अंतर है?
धर्म पारंपरिक रूप से स्थापित नियमों, सिद्धांतों और मध्यस्थता के माध्यम से कार्य करता है। इसके द्वारा यह संदेश प्रवाहित होता है कि लोगों को क्या मानना चाहिए, कब मानना चाहिए और कितना मानना चाहिए तथा उस माने गए श्रद्धा या विश्वास को कहाँ और कैसे व्यक्त करना चाहिए। क्योंकि पहले के समय में साधु-संत केवल एकांतवास में तपस्या करते थे लेकिन आजकल के ये संत Instagram पर देखने को मिल जाते हैं अपने followers बढ़ाने के लिए।
DIY व्यक्तिगत आध्यात्मिकता
लेकिन जिस तरफ परिवर्तन का प्रवाह बह रहा है वह व्यक्तिगत आध्यात्मिकता संकेत देती है कि आप खुद, अपने तरीके से ही दिव्य, ब्रह्मांड या उस super power – दिव्यशक्ति के साथ एकरूप होने का मार्ग खोजें यानी खुद ही discover करें अपना divine connection। जिसके लिए आपका modern गुरुकुल है YouTube, और उसमें गुरु हैं वे channel में आने वाले बाबा, home studio, viral videos, और उनके न्योछावर के लिए PayTM और Google Pay है।
धर्म एक highway है
धर्म, स्पष्ट संकेतों और निश्चित गंतव्य स्थानों के लिए मार्गदर्शिका के साथ अत्यंत अच्छी और आरामदायक यात्रा कर सकने वाला एक highway है। व्यक्तिगत आध्यात्मिकता एक अज्ञात landscape में से अपनी गति से, अपनी दिशा निश्चित कर अपना निजी रास्ता create करने के समान है। धर्म में जिसे मानो वह भगवान तो मंदिर में मिले और कहा जाए कि वह यहाँ, वहाँ, सर्वत्र होते हैं और आज के Gen-Z के समय में कहा जा सकता है कि “भगवान हर app में होते हैं!”
रोज की दिनचर्या:
सुबह 5 बजे उठकर phone check >>> WhatsApp पर good morning messages >>>>> फिर भविष्यफल >>>>>> फिर copy-paste किए गए motivational quotes >>>> meditation, इसके लिए meditation app या YouTube और Google guru – और एक भावना “अब मैं enlightened हूँ!” (और इसके बारे में social media पर post का दूसरा round) फिर designer बैगों में रखे गए crystals की cleansing >>>> और अंत में अब तक इंतजार कर रहे भगवान को नमन।
व्यक्तिगत आध्यात्म में belief system, एक playlist बन गई है।
थोड़ा Buddhism यहाँ से, सनातन वहाँ से, healthy routine जैनिज्म से, उसमें Native American wisdom का तड़का और उसमें लटकता quantum physics भी, और वाह! Personal enlightenment के साथ की tasty-healthy-spiritual, customized, hashtags सहित social media तथा Instagram-ready dish तैयार।
लेकिन आज के digital युग में ‘nothing is free’, इस तरह से इस spiritual awakening और enlightenment और inner peace के लिए monthly subscription यानी न्योछावर। Healing crystals कुछ drugs से भी महंगे, और “transformation workshops” के लिए हजारों रुपयों की fees।
Irony यह है कि आज की इस व्यक्तिगत आध्यात्म में सदियों से जो free में मिलती रही उन ancient practices के लिए अब हम premium subscription चुकाते हैं। दान-दक्षिणा लेकर spiritual ज्ञान देने वाले monks की जगह ले ली है PayPal links और हर दूसरे ‘pay’ feature वाले spiritual entrepreneurs ने।
सादी prayer या शांत reflection के दिन अब बीत गए। Modern व्यक्तिगत spirituality को follow करने के लिए equipment चाहिए।
Elaborate morning routine
Gratitude Journaling, Crystal Mitation, आईने में Affirmations, और Profound Caption के साथ sunrise photo को social media पर post करना। यह सब देखने और जानने के बाद एक बात निश्चित लगती है कि enlightenment कभी इतना photogenic नहीं था।
व्यक्तिगत आध्यात्म की अपनी vocabulary है। Problems “lessons” हैं, difficulties “growth opportunities” हैं, bad luck मतलब “clearing old energy” तथा life की सर्वसामान्य struggle को mystical और meaningful बनाने की सुंदर रीति है।
Community Creation
ये spiritual warriors एक-दूसरे को online खोजते हैं, energy vampires और toxic people के बारे में memes share करते हैं। Weekend workshops attend करते हैं shamanic breathing और Reiki healing पर, सैकड़ों रुपए देकर वह सीखते हैं जो ancient cultures, आज की generations को अब तक free में देती आ रही थीं।
Reality Check:
आधुनिक युग की व्यक्तिगत spirituality के बारे में सोचें तो ऐसा लगता है जैसे यह अक्सर obviously selfish है। हमारे शास्त्रों के अनुसार पारंपरिक प्रथा के अनुसार, उसमें रहीं तमाम कमियों सहित और तमाम खामियों के बावजूद, एक-दूसरे की निःस्वार्थ मदद, सामाजिक जिम्मेदारियों, और त्याग की भावना – self-sacrifice पर जोर देते थे, यही सिखाते थे हमारे शास्त्र। जबकि आज के इस digital युग की व्यक्तिगत spirituality केवल self-improvement, self-love, और self-actualization, self-realization तक सीमित है।
आज की इस व्यक्तिगत spirituality के अनुसार, universe मुख्यतः उनकी व्यक्तिगत इच्छाओं – personal desires को संतुष्ट करने के लिए और life choices को validate करने के लिए ही exist करता है।
भगवान सबका भला करे या न करे… लेकिन भला करने का निर्णय करे तो शुरुआत मुझसे करे यह आज की व्यक्तिगत spirituality का ध्येय होता है।
व्यक्तिगत आध्यात्मिकता स्वाभाविक रूप से बुरी नहीं है। या इसे न अपनाना भी जरूरी नहीं है। सवाल यह भी नहीं है कि यह अच्छी है या बुरी। एक-दूसरे के साथ connections और उत्कृष्टता की जरूरत वास्तविक और स्वीकार्य है, मान्य है। अस्वीकृति का मुख्य कारण, उस व्यक्तिगत spirituality का व्यापारीकरण, social media का प्रदर्शन और create की जा रही self-centeredness है।
सच्ची आध्यात्मिकता हमेशा “वसुधैव कुटुम्बकम्” की भावना में है। ‘मैं’ में नहीं “हम” में है। केवल ‘स्व’ में नहीं। यह सेवा के बारे में भी है, केवल self-improvement के बारे में ही नहीं। यह निःस्वार्थ देने के बारे में है, रहस्य के बारे में है, व्यापार के बारे में नहीं।